इश्क मोहब्बत वफा कसमे
इश्क मोहब्बत वफा कसमे
जन्म जन्म तक साथ रहने के वादे किए थे
तुम ही चले गए छोड़कर मुझको वरना मैंने सब इरादे किए थे

चाँद सा चेहरा है, आँखे मृग सी, उसके जैसी अदा नही है किसी की
उसको रब ने एक ही बनाया है जग मे,
मगर कमबख्त वो भी नही है मेरे हक की।

रात में एक टूटता तारा देखा बिलकुल मेरे जैसा था…
चाँद को कोई फर्क नहीं पड़ा बिलकुल तेरे जैसा था….!!

💋 एक पूरी ज़िन्दगी के बाद भी आओगे 💋
💋 तो शर्त है हमें अपना ही पाओगे 💋

वो उम्र भर कहते रहे तुम्हारे सीने में दिल ही नहीं
दिल का दौरा क्या पड़ा, ये दाग भी धुल गया

ये ग़म कभी ख़त्म नहीं होता
ये बताने से भी कम नहीं होता
ये तो हमसफर है उन तन्हा दिलो का
जिसके साथ उनका हमदम नहीं होता….

जालिम दुनिया में जरा संभल कर रहना मेरे यार,
यहाँ पलकों पे बिठाया जाता हैं नजरों से गिराने के लिए.

लफ़्ज़ों की दहलीज पर घायल जुबान है
कोई तन्हाई से तो कोई महफ़िल से परेशान है..✍️

मुहब्बत इसलिए है बड़ी मुश्किल,
क्योकि पहरेदार बहुत हैं।
सुना हूँ बिकता है सबकुछ यहां,
क्योकि खरीददार बहुत हैं।

इश्क से बचिए जनाब
____गजब का काजी है ये
खुद ही सजा देता है
_____जुर्म करवाने के बाद..

दिल के दर्द छुपाना बड़ा मुश्किल है;
टूट कर फिर मुस्कुराना बड़ा मुश्किल है;
किसी अपने के साथ दूर तक जाओ फिर देखो;
अकेले लौट कर आना कितना मुश्किल है।

सब कुछ मिला सुकून की दौलत ना मिली,
एक तुझको भूल जाने की मोहलत ना मिली,
करने को बहुत काम थे अपने लिए मगर,
हमको तेरे ख्याल से फुरसत ना मिली.

दिल से तेरी याद को जुदा तो नहीं किया,
रखा जो तुझे याद कुछ बुरा तो नहीं किया,
हम से तू नाराज़ हैं किस लिये बता जरा,
हमने कभी तुझे खफा तो नहीं किया।

उम्र हर रोज सफर कर रही है
और मैं ख्वाहिशे लेकर वही खड़ा हूँ!

मौसम सा मिज़ाज रखते है , #मोहब्बत करने वाले,..
बहारों की रौनक दिखाकर , #पतझड़ में छोड़ जाते है..!!

आग सूरज में होती है जलना ज़मीन को परता हैं
मोब्बत निगाहैं करती हैं तरपना दिल को परता हैं

किनारा तू हो, तो में लहेरो को, तुमपे ख़त्म कर दूँ,
जो तू दवा हे, तो में गहरा अपना, हर ज़ख्म कर दूँ।

वो मुझसे दूर खुश हे , मैं खुश हूँ की, वो खुश हे।

“आईना आज फिर रिशवत लेता पकडा गया,
दिल में दर्द था ओर चेहरा हंसता हुआ पकडा गया”

“#मोहब्बत ❤ इतनी #हसीन 😍 भी #नहीं_ज़नाब, 😞 जितनी #हम_शायरों ✍ ने #सजा 😏 रखी है ।। 😏😏”

फिकर तो तेरी आज भी करते हे , बस जिक्र करने का हक़ नहीं रहा।

नींद आए या ना आए , चिराग बुझा दिया करो,
यूँ रात भर किसी का जलना , हमसे देखा नहीं जाता।

“➡कर कुछ 😖👈मेरा 😈भी इलाज,🤕 ऐ❣ हकीम-ए मोहब्बत💔…
जिस दिन 🌄याद आती 😍है उसकी👸, सोया 😴नहीँ ❌जाता… 😘😘🎻”

“तेरे अस्मत को मैं अपनी, ताबीर बना लूंगा
तेरे तनहाइयों में खुद को ,नासीर बना लूँगा
हूँ सज्ज मैं बस आज, खुदा से कहने को इतना
तेरे हर दर्द को खुद का , तकदीर बना लूँगा।”